स्वेच्छापूर्वक अपनाई गई दरिद्रता मनुष्य का सही मानव बनाती है किन्तु आलसी के ऊपर लदी हुई दरिद्रता उसकी अकर्मण्यता का स्वाभाविक दुष्परिणाम होता है।