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Akhand Jyoti
Year 1989
Version 2
सद्वाक्य
सद्वाक्य
January 1989
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शत्रुओं से बचो, पर मित्रों से सावधान रहो।
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Page Titles
विषय सूची
नियंता का दिव्य उपहार— आत्मविश्वास
सफलताएँ टिकी हैं प्रचंड मनोबल पर
सद्वाक्य
हृदयगुहा में होते हैं— परमात्मा के दर्शन
जवाब तलब न करना पड़े (कहानी)
आभामंडल की प्रभाव-क्षमता अब संदेह से परे!
क्या ईश्वरीय सत्ता सर्वव्यापी नहीं है?
यह जीवन प्रभुमय बन जाए!
संकल्पशक्ति कुंजी है— प्रगति-पुरुषार्थ की
कैसे आएगा सतयुग?
वेदों से आख्यायिका
विचित्र— विलक्षण यह सृष्टि
सदुक्ति
जिन खोजा तिन पाइयाँ
इच्छाशक्ति के सुनियोजन से असंभव भी संभव
परस्पर जुड़े हुए हैं अंतःकरण एवं पर्यावरण
कौन है इस अनुशासित सृष्टि का नियंता?
प्रकृति नारायण जैसी (कहानी)
जीवन-साधना के कुछ निश्चित सूत्र
सद्वाक्य
सहयोग-सहकार पर निर्भर जीवन-व्यापार
वनौषधियों की सूक्ष्मीकृत उपचार-प्रक्रिया
हैसियत का अधिकतम अंशदान है— महायज्ञ (कहानी)
विभूति का दुरुपयोग न हो
प्रतिभा का निखार— व्यवस्था-बुद्धि का विकास
गीता का दिव्य संदेश
सद्वाक्य
सूक्ष्मजगत— प्रकृति और पुरुष के रूप में
इक्कीसवीं सदी की समझदारी को चुनौती
रंगों में छिपे हैं बड़े-बड़े गुण
सरल आसनों द्वारा अंगों को सक्रिय कैसे बनाएँ?
भिखारी का दृष्टिकोण बदला (कहानी)
प्राणशक्ति के संवर्द्धन हेतु प्रयोग-उपचार!
ध्यान-साधना का वैज्ञानिक आधार
अभक्ष्य भोजन के दुष्परिणाम
सद्वाक्य
जड़ें गहरी और मजबूत हों
एक ही सत्य एक ही लक्ष्य!
व्यक्तित्व विकास हेतु संस्कार आयोजन
बदलेगा निश्चित समाज— यह संकल्प पुनः दुहराते हैं
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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