ऐतरेय ब्राह्मण और ऐतरेय उपनिषद् भारतीय वाङ्मय के मान्य ग्रंथ हैं। उनके सृजेता थे तत्त्वज्ञानी ऐतरेय। उन्हें महामनीषी के रूप में जाना जाता और सम्मानित किया जाता है।
इतरा दासी या रखैल को कहते हैं। उसकी संतान को उन दिनों सम्मानित नागरिक नहीं माना जाता था। फिर भी ऐतरेयवंश के आधार पर नहीं, गुणों के आधार पर उच्च सम्मान के अधिकारी बने।