नियंता का दिव्य उपहार— आत्मविश्वास

January 1989

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पुलिस की सशस्त्र गारद साथ चलती है तो सुरक्षा की निश्चिंतता हो जाती है और निर्भय— आश्वस्त होकर चला जा सकता है। जिसे ईश्वर पर, उसकी सर्वशक्तिमान सत्ता पर विश्वास है, वह निर्भय होकर चलता है। जिसे ईश्वर पर भरोसा है, जो उसे हर समय अपने भीतर विद्यमान अनुभव करता है, उसे आत्मविश्वास की कमी क्योंकर होगी? ईश्वरविश्वास और आत्मविश्वास एक ही आस्था के दो पहलूमात्र हैं, जो स्वयं पर से अपनी महानता और संभावनाओं पर से आस्था खो बैठा, उसे नास्तिक के अतिरिक्त और क्या कहा जाएगा?

जो स्वयं पर भरोसा करता है, उसी पर दूसरे भी भरोसा करते हैं। जो अपनी सहायता आप करता है, उसी की सहायता ईश्वर भी करता है। हो सकता है कि कोई निष्ठावान असफल भी रहा हो, पर जितने भी सफल— संपन्न हुए हैं, उनमें से प्रत्येक आत्मविश्वासी अवश्य रहा है। संभव है, किसी कुशल किसान की फसल मारी जाए, पर जिनने भी कृषि में कमाई की है, उनमें से प्रत्येक को जोतने और बोने का श्रम करना पड़ा है। आत्मविश्वास ही शक्ति का स्रोत है। वस्तुतः ईश्वर का एकमात्र दिव्य उपहार जो मनुष्य को मिला है— आत्मविश्वास ही है।


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