सतत पुरुषार्थ का स्थान न मेधा ले सकती है न प्रतिभा , न शिक्षा । संसार में ऐसे असंख्य मेधावी , प्रतिभाशाली तथा शिक्षित लोग भरे पडे़ हैं , जो जीवन में बिफल रहे हैं, मगर ऐसा एक भी वयक्ति नहीं मिलेगा जिसने सतत पुरुषार्थ किया हो और वह विफल रह गया हो ।
कालविन कूलिज