एक दिन ऐसा जरुर आवेगा जब लोग औषधियो से निराश होकर यह सोचगे कि यदि निरोग रहना है तो प्रकृति की शरण में लौटना चाहिए और उच्छखलता छोड़कर सयमित और संयमित जीवन पद्धति अपनानी चाहिए ।