जोर का अन्धड़ आया। उसने उस सघन प्रदेश के अगणित पेड़ उखाड़ कर पटक दिये। फिर भी असंख्य ज्यों के त्यों अपना शिर उठाये खड़े थे।
उस प्रदेश से बाप बेटे किसी लम्बी यात्रा पर जा रहे थे। बेटे ने पूछा- भला कुछ ही पेड़ अन्धड़ ने क्यों उखाड़े और कुछ ज्यों के त्यों क्यों कर खड़े रह गये?
बाप ने गिरे हुए पेड़ों के पास लेजाकर बेटे को दिखाया कि गिरने वाले पेड़ों की जड़ें पहले से ही काफी कमजोर हो गई थी। अन्धड़ तो गिराने का निमित्त मात्र था। तूफानों का सामना वे पेड़ देर तक करते रहेंगे जिनकी जड़ें मजबूत है।