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January 1979

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सुख का एक द्वार बंद होता है तो दूसरा खुल जाता है। परन्तु बहुधा हम बंद दरवाजे को ही ताकते पछताते रहते हैं। नये खुले द्वार की ओर हमारा ध्यान ही नहीं जाता। -हेलन फेलर


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