सिद्धियों के अहंकार से नहीं (kahani)

January 1979

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राबिया कई सन्तों के संग बैठकर बातें कर रही थी तभी हसन बसरी [सूफी संत] वहाँ आ पहुँचे और राबिया से बोले-चलिये झील के पानी पर बैठकर हम दोनों बातें करें।

हसन के बारे में प्रसिद्ध था कि उन्हें पानी पर चलने की सिद्धि प्राप्त थी। राबिया तो सब सिद्धियों को करतलगत कर ही चुकी थी फिर भी वह गम्भीर होकर बोली-भैया! जो तुम कर सकते हो वह तो एक मछली भी कर सकती है और मैं हवा में उड़ सकती हूँ तो वह तो एक मक्खी भी कर सकती है। सत्य चमत्कारों से बहुत ऊपर है। उसे सिद्धियों के अहंकार से नहीं, समर्पित विनम्रता से ही खोजना चाहिए।


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