सन्त यूसुफ (kahani)

February 1978

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सन्त यूसुफ थे तो बड़े ज्ञानी−वेरागी परन्तु वह अपने पास एक बोतल व प्याला रखते थे जिससे लोगों को यह आभास होता था कि वे शराबी हैं। इस कारण उनकी निन्दा भी यदा−कदा होती रहती थी।

एक बार एक व्यापारी को बाहर जाना था, वह अपनी एक सुन्दर पुत्री को किसी के पास सुरक्षित छोड़कर जाना चाहता था। उसने सन्त यूसुफ के बारे में सुन रखा था वह अपनी पुत्री को लेकर सन्त यूसुफ के यहाँ गया परन्तु उसके मन में आशंका बनी रही कि जिस सन्त की लोग इस तरह की निन्दा करते हैं कि वह शराबी है उसके पास पुत्री को छोड़ना कहाँ तक उपयुक्त होगा। व्यापारी ने अन्ततः सन्त से पूछ ही लिया कि आप इतने अच्छे सन्त है फिर भी आप अपने पास बोतल व प्याला क्यों रखते हैं? इससे जन साधारण में आपके बारे में यह धारणा बनने लगी है कि आप शराबी हैं। यूसुफ ने बताया मेरे पास पानी पीने का कोई और पात्र नहीं है इससे मैंने इन्हें रख छोड़ा है, रही जन सामान्य की धारणा की बात तो इससे मुझे लाभ ही है कि मुझे अधर्म से जन सामान्य झिझकता है व मुझे इस तरह एकान्त में रहकर प्रभु की उपासना का अच्छा अवसर मिल जाता है। यदि मैं प्रसिद्ध हो जाऊँ तो मेरे पास भीड़ सी एकत्रित हो जाय व मैं फिर प्रभु चिंतन में अधिक समय न लगा पाऊँगा।

सन्त व्यक्ति अपने आपको छिपाए रखते हैं व जीवन के मूल उद्देश्य की ओर लगे रहते हैं। चाहे बाह्य रूप से उनके रूप के बारे में जनसाधारण कुछ भी सोचते रहें। यह सोचकर व्यापारी सन्तुष्ट हुआ। उसने अपनी पुत्री खुशी-खुशी यूसुफ के संरक्षण में रख दी।

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