वायुयान यदि किसी स्थान से सीधी रेखा में उड़ता चला जाय तो वह वापिस अपने स्थान पर आ जायेगा। क्योंकि पृथ्वी गोल है, पर यह वायुयान उड़ाने के प्रयास अब तक ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर से उड़ाने का प्रयत्न नहीं किया गया। इतना ही नहीं इन दिनों राकेट और उपग्रहों को पृथ्वी के चारों और भ्रमण के लिए भेजा गया है उन्हें भी ध्रुव क्षेत्र से ऊपर से नहीं उड़ने दिया गया है उनकी दूसरी ही दिशाएं, कक्षाएँ निर्धारित की गई है। क्योंकि इस बात का पूरा भय है कि ध्रुव प्रदेश के ऊपर उड़ने वाले यान अपनी यात्रा सुरक्षित रूप से जारी नहीं रख सकते, वे बीच में ही कहीं गुम हो जायेंगे।
यदि हम सीधी राह पर चलें तो यात्रा का अन्त वहीं होगा जहाँ से आरम्भ हुआ है सद्भावनाओं और सत्प्रवृत्तियों के दो पहियों की गाड़ी लम्बी यात्रा करने के उपरान्त अपने उद्गम केन्द्र पर जा पहुँचती है। हम ईश्वर से निकलते है अस्तु यदि सीधी और सही दिशा में रहे तो ईश्वर प्राप्ति के लक्ष्य तक सरलतापूर्वक पहुँच सकते हैं। पर यदि जोखिम में डालने वाली दुष्प्रवृत्तियों के जाल में फंस जायें तो नष्ट और गुम होने के अतिरिक्त और क्या हाथ लगेगा?
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