अमरीकी वैज्ञानिक आइन्स्टीन (kahani)

November 1976

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विश्व विख्यात अमरीकी वैज्ञानिक आइन्स्टीन ने “सापेक्षवाद का सिद्धान्त” पुस्तक लिखी जिसमें विश्व व्यवहार की दार्शनिक स्थिति पर प्रकाश डाला था। पुस्तक ने लोगों को चिन्तन की सर्वथा नई दिशा दी।

पुस्तक की लोकप्रियता से ईर्ष्यालु जर्मनी के एक सौ प्रोफेसरों ने मिलकर पुस्तक लिखी जिसमें सापेक्षवाद के सिद्धान्त का विरोध किया गया था।

आइन्स्टीन के मित्र उनके पास आये और जर्मनी-प्रोफेसरों द्वारा लिखी जा रही पुस्तक पर चिन्ता व्यक्त की। इस पर आइन्स्टीन बोले भाई इसमें चिन्ता की क्या बात है, इससे तो मेरे सिद्धान्त की पुष्टि ही होगी।

सौ कैसे? विस्मित मित्र ने जिज्ञासा प्रकट की- इस पर आइन्स्टीन ने कहा- “यदि मेरा सिद्धान्त सचमुच गलत होता तो उसके खण्डन के लिए एक आदमी पर्याप्त होता, इतना तो कोई भी समझ सकता है कि सौ-सौ आदमी जिस बात के विरोध में खड़े हैं आखिर उस तथ्य में भी दम होना चाहिए।

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