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June 1974

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मनुष्य का परम कर्त्तव्य है कि वह वाणी और लेखनी द्वारा सत्य का प्रकाश और असत्य का नाश करे। ऐसा न करने से मनुष्यों की उन्नति नहीं हो सकती। मनुष्य जन्म का यही फल है कि सच और झूठ का निर्णय किया और कराया जाय न कि झगड़ा और बैर, विरोध बढ़ाया जाय।

− स्वामी दयानन्द


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