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Akhand Jyoti
Year 1973
Version 2
नीति श्लोक
नीति श्लोक
June 1973
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अष्टाचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या ।
तस्यां हिरण्ययः कोशः स्वर्गो ज्योतिषाऽऽवृतः ।।
— अथर्व. 10-23-1
यह शरीर आठ चक्रों और नौ द्वारों वाली देवपुरी अयोध्या है, जिसमें सोने का एक ज्योतिस्वरूप एवं स्वर्ग-सा रमणीय प्रकोष्ठ— मस्तिष्क है।
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Page Titles
और कोई रास्ता नहीं
प्रत्यावर्तन का दार्शनिक पक्ष
नीति श्लोक
अनंत आनंद और उसकी प्राप्ति
प्रत्यावर्तन का साधना पक्ष
नीति श्लोक
प्रत्यावर्तन सत्र की दससूत्री साधन-प्रक्रिया
नीति श्लोक
खेचरी मुद्रा का तारतम्य और साधना विज्ञान
नीति श्लोक
सोमरस पान की दिव्य अनुभूति
नीति श्लोक
परम प्रेरणाप्रद गायत्री उपासना
सोहम्-साधना से भावोर्त्कष एवं शक्ति अवतरण
ज्योति अवतरण की बिंदुयोग साधना
नीति श्लोक
नादयोग— दिव्य सत्ता के साथ आदान-प्रदान
नीति श्लोक
साधना के उपयुक्त सतोगुणी आहार
आत्मबोध का दिव्य वरदान
नीति श्लोक
आत्मा की सुनो, आत्मा का मनन करो
तत्त्वबोध के प्रकाश में भवबंधनों से मुक्ति
पंचकोषों की साधना, पंचदेवों की सिद्धि
नीति श्लोक
प्रत्यावर्तन-साधना संबंधी कुछ विशेष स्पष्टीकरण
नीति श्लोक
सदा के लिए अपनाया जाने वाला सतत साधनाक्रम
नीति श्लोक
आत्मशोधन की प्रायश्चित-प्रक्रिया
नीति श्लोक
अपनो से अपनी बात
वह किरण व्यर्थ है
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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