अयं सूर्य्यः इवोपदृगयं सरांसि धावति।
— ऋग्वेद् 9/54/3
जिस प्रकार सूर्य का प्रकाश सौर्यमंडल को प्रकाशित करता है। यह सोम उसी तरह सारे विश्व में आच्छादित है। इन्हें ज्ञान के नेत्रों से देखा जाता है। इसका ध्यान सर्वविद्यासंपन्न विद्वान बनाता है।
अयं विश्वानि तष्ठिति पुनानो भुवनोपरि।
सोमो देवो न सूर्य्यः।।
— 9/54/3
यह सोमरस सूर्य कि भाँति समस्त भुवनों से ऊपर स्थित होकर संसार को पवित्र करते हैं।