धर्म-पुराणों में कहा है- जिस परमात्मा को बड़े-बड़े ज्ञानी-ध्यानी भी योग साधनायें करके भी नहीं जीत पाते, उसे भक्त अपनी निष्ठा और भावना के द्वारा शीघ्र की आकर्षित कर लेते हैं। भगवान् तो भक्ति का भूखा और निष्ठा का प्यासा है, जहाँ उसे यह दोनों बातें मिल जाती हैं, वहाँ पहुँचने में उसे देर नहीं लगती।