पठतो नास्ति मूर्खत्वं जपतो नास्ति पातकम्।
जाग्रतस्तु भयं नास्ति कलहो नास्ति मोनिनः॥
जो निरन्तर अध्ययन शील होता है उसमें मूर्खता नहीं रहती है। जो बराबर जप करता रहता है उसमें कोई भी पातक नहीं रह सकता है। जो जागता रहता है उसे किसी का भी भय नहीं हो सकता है। जो मौन धारण करने वाला होता है उससे किसी का भी कलह नहीं होता है।