एक ब्राह्मण बड़ा निर्धन था। उसने एक सन्त की इस लिए बड़ी सेवा की कि उसके आशीर्वाद से उसका धनाभाव दूर हो जायगा। बहुत काल तक सेवा करने के बाद महात्मा प्रसन्न हुए और पूछा- “वत्स! बोल तूने मेरी इतनी सेवा क्यों की, मैं तेरी इच्छा पूरी करना चाहता हूँ।” निर्धन ने कहा- भगवन्! मैंने आपकी सेवा इसलिए की है कि आप मुझे कोई ऐसा आशीर्वाद दें, जिससे मेरा धनाभाव दूर हो जाये और मैं इस नगर का सबसे बड़ा सेठ हो जाऊँ।