उठो, उठो सहयोगी मिल जुल जीवन ज्योति जगाओ, श्रम साधन से नेक नियत से धरती स्वर्ग बनाओ,
ईंट ईंट जुड़ने से देखो महल खड़ा हो जाता है, करना-करना मिलने से चट्टान बड़ा हो जाता है।
क्यों निराश क्यों रुके राह में अपना कदम बढ़ाओ, सुख से जीने के सब साधन और सामान जुटाओ।
न्याय और ईमान न बिगड़े मानव गुण अपनाओ, उठो-उठो सहयोगी मिल जुल जीवन-ज्योति जगाओ॥
—कृष्ण बिहारी लाल “राही”