व्यक्ति-निर्माण, समाज-निर्माण, युग-निर्माण की प्रेरणा लेकर अखण्ड-ज्योति का प्रकाश पिछले 25 वर्षों से चल रहा है। इसकी किरणें जिन पर भी पड़ी हैं उन्हें अन्धकार से छुटकारा पाने और अपने को आलोकित करने का अवसर मिला है। लाखों व्यक्तियों ने अपनी जीवन दिशा मोड़ी और संकीर्ण दायरे में कीड़े - मकोड़ों को जीवन जीने वाले देवत्व की परिधि स्पर्श कर सकने की स्थिति तक पहुँचे यह एक वास्तविकता है।
हमें प्रयत्न यह करना चाहिये कि अखण्ड - ज्योति की प्रत्येक कापी का लाभ अधिक से अधिक व्यक्ति उठावें। जिस घर में वह पहुँचती है, उसमें जो भी पढ़े - लिखें हो वे उसे पढ़ें और जो बिना पढ़े हों वे सुनें, ऐसा प्रबन्ध किया ही जाना चाहिये। प्रत्येक अंक कम से कम 10 व्यक्तियों की ज्ञान वृद्धि का साधन बने तभी उसे मँगाने की सार्थकता है।
यह वर्ष अखण्ड-ज्योति की रजत-जयंती का वर्ष है। इसमें हर परिजन को कुछ नये ग्राहक बनाकर अपनी श्रद्धाँजलि अर्पित करनी है, जिनने अभी यह नहीं किया है, उन्हें अब कर लेना चाहिए। अपने मित्रों, स्वजनों को उपहार में भी भिजवाना चाहिए। यों अखण्ड-ज्योति के ग्राहक एक वर्ष से कम के लिए नहीं बनाये जाते पर इन दिनों उसमें यह ढील कर दी गई है कि जुलाई से दिसम्बर तक छह महीनों के लिए 2) रुपया भेज कर भी उसका ग्राहक बना जा सकता है।
जिन्हें 4) रुपया देने कठिन पड़ते हैं, या उपहार में अधिक खर्च नहीं करना चाहते वे छह महीने के लिए भी ग्राहक बन या बना सकते हैं। रजत-जयन्ती वर्ष में अखण्ड-ज्योति की सदस्य संख्या बढ़ाने के लिए हममें से हर एक को उत्साह एवं भावनापूर्वक प्रयत्न करना चाहिए।