दमिश्क में एक बार बड़ा अकाल पड़ा। लोग बेमौत मरने लगे, जो जिन्दा थे वे सूखकर पिंजर हो रहे थे। इन्हीं दिनों एक अमीर से मेरी भेंट हुई। वह भी औरों की तरह ही सूख रहा था।
मैंने पूछा भला, आपको क्या कमी है। आपके पास तो खाने और ऐश करने की हर चीज मौजूद है फिर क्यों इस प्रकार सूख रहे हैं।
अमीर ने कहा- क्या वह तन्दुरुस्त आदमी सुखी हो सकता है, जिसकी बगल में बीमार पड़ा कराहता हो। आस -पास के लोग जब मुसीबतों से घिरे हों तो सुखी का सुख भी उसके लिए जहर बन जाता है।
-शेखवादी