बिच्छू दंश का अनुभूत उपचार

May 1947

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बिच्छू के काटने से कैसी छटपटा देने वाली, पीड़ा होती है इसे भुक्तभोगी ही जानते हैं। जिन प्रदेशों में बिच्छू अधिक होते हैं वहाँ के निवासियों को इस दुष्ट जीव से बड़ा त्रास रहता है। कई छोटे बालक तो डंक की दुःसह पीड़ा से छटपटा कर प्राण त्याग कर देते हैं कभी-2 कोई विषैला बिच्छू बड़े आदमी के लिए भी प्राण-घातक बन जाता है।

यों तो बिच्छू के विष के लिए अनेकों दवाएं प्रचलित हैं और इनमें से एकाध दवा हर व्यक्ति को मालूम होती है। पर ऐसी शर्तिया दवा जो जादू की तरह काम करती हो किसी बिरले को ही मालूम होती है। मुझे एक ऐसा ही परीक्षित उपाय प्राप्त हुआ है। एक सपेरे ने एक बार हमारे यहाँ एक बिच्छू के डंक की भयंकर पीड़ा से छटपटाते हुए बालक पर इस चीज का प्रयोग किया था। उससे तुरन्त लाभ हुआ। मैंने उस सपेरे से काफी विनय करके, लोक हित का, धर्म बता कर तथा धन देकर इस नुस्खे को मालूम किया। तत्पश्चात पचासों बार आजमाया, सदा ही उससे आश्चर्य जनक लाभ हुआ। अब इन पंक्तियों द्वारा उस नुस्खा को अखण्ड-ज्योति के पाठकों के सामने उपस्थित कर रहा हूँ।

बिजली के टॉर्चों की बैटरी को तोड़ने से उसके अन्दर वाली गोल लम्बी बत्ती सी निकलती हैं। उस बत्ती को नमक के साथ घिसकर बिच्छू के काटे हुए स्थान पर गाढ़ा लेप कर आग से सेंक दीजिए लेप सूखते ही पूर्ण आराम होगा।


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