इस संसार में कोई भी व्यक्ति न तो पूर्णतः दोषी ही है और न निर्दोष ही। सभी में गुण दोषों के अंश मौजूद हैं, इसलिए पारस्परिक सहनशीलता और उदारता से काम चलाना चाहिये।