खुदा कसम, तू ही खुदा है।

March 1942

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(मास्टर हरिदेव प्रसाद जी मधुवनी)

पाठक महानुभाव! अपने आपको अधम, नीच, पीड़ित, पापी या अभागा कहने का आपको कोई अधिकार नहीं है। आप तो अनन्त हैं। सर्व शक्तिमान हैं।

देखिये, एक दिव्य आत्मा ने ईश्वर से क्या ही अच्छा प्रश्न पूछा और जवाब भी बिल्कुल सही-सही पाया।

गुफ्तम चरा बेगानए? गुफ्ता कि तू दीवानये।

मन कीस्तम तू कीस्ती, दर खुद चरा भी नंगरी॥1॥

तू अष्वली ओ आखिरी, तू बातनी ओ जाहिरी।

तू कासिदी ओ मक्रसदी, तू नाजिरी ओ मंजरी॥2॥

अर्थ:- (1) -मैंने कहा- तू बेगाना (अन्य) क्यों बन गया? उसने उत्तर दिया- तू पागल हो गया है। मैं कौन हूँ, तू कौन है, यह अपने भीतर क्यों नहीं देखता है?

(2) तू ही आदि है, तू ही अन्त है। तू ही बाहर है, तू ही भीतर है। तू ही उपदेशक है, तू ही उपदेश है और तू ही देखने वाला और दर्शन योग्य है।

एक भक्त ने ईश्वर से उनका दर्शन करने के लिये अर्ज़ किया। इस पर खुदा ने क्या ही अच्छा कहा-

गुफ्तमश ख्वाहम कि बीनम मर तुरा ऐ नाजनी।

गुफ्त गर ख्वाही मरा बीनी, बरो खुद राब वी॥

अर्थ:- मैंने उस (यार) को कहा कि ऐ प्यारे! तुझको देखना चाहता हूँ। उसने उत्तर दिया कि यदि तू मेरे देखने की कामना रखता है, तो जा अपने आप को देख (जो तेरा वास्तविक स्वरूप है, वही मैं हूँ।)

और भी सुनिये। एक भक्त ईश्वर को तलाशने के बाद क्या कहते है:-

ऐ कि उमरे-दूरपये ओ मेदवीदम सू बसू।

नागहाँनिश याफ्तम् बादिल निशस्ता रूबरु॥

अर्थात्- मैं जो समस्त आयु उसके पीछे हर ओर दौड़ता फिरता था, मैंने एकाएक उसको हृदय में सम्मुख बैठा हुआ पाया।

इतना ही नहीं, और भी:-

बेहूदह चरा दरपये ओ मेगरदी,

विनशी अगर वो खुदास्त खुद में शायद।

भावार्थ:- उस (ईश्वर) के लिये तू व्यर्थ क्यों घूमता फिरता है। बैठ, (अपने को पहचान) अगर वह खुदा है, तो खुद आयेगा।

अन्त में मैं एक पहुँचे हुए फकीर का शेर लिख रहा हूँ। आपको मालूम हो जावेगा कि वस्तुतः हम हाड़ माँस के पुतले हैं, या अनन्त शक्ति के भण्डार।

अय आँ कि तू खुदा रा जोई हरजा।

चे तू खुदा नई? खुदाई ब खुदा।

अर्थ:-अय मनुष्य! तू हर स्थान पर ईश्वर को ढूँढ़ता है, क्या तू स्वयं ईश्वर नहीं है? ईश्वर की सौगन्ध, तू ही ईश्वर है।

शोक संवेदना

अखण्ड-ज्योति परिवार के प्रतिष्ठित सदस्य अजमेर निवासी श्री मंगलचन्द जी भण्डारी के छोटे भाई श्री सोहन राज जी भण्डारी का, एवं वाय (जयपुर) के प्रधानाध्यापक श्री जगन्नाथ प्रसाद शर्मा के सुपुत्र श्री सुरेन्द्र कुमार जी का स्वर्गवास हो गया। उपरोक्त दोनों बन्धुओं एवं उनके परिवार के दुख से हम अपनी संवेदना प्रकट करते हुए, दिवंगत आत्माओं की सद्गति के लिये ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।

-सम्पादक।


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