मनुष्य को देवता बनाने वाली पुस्तकें

March 1942

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जो ज्ञान युगों के प्रयत्न से मिलता है- उसे हम अनायास ही आपके सन्मुख उपस्थित करते हैं।

यह पुस्तकें बाजारू किताबें नहीं हैं। उनकी एक-एक पंक्ति के पीछे गहरा अनुभव और अनुसंधान है। विनम्र शब्दों में हमारा दावा है कि इतना खोजपूर्ण अलभ्य साहित्य इतने स्वल्प मूल्य में अन्यत्र कहीं भी नहीं मिल सकता।

1. मैं क्या हूँ?- आत्मा का प्रत्यक्ष प्रदर्शन करने के कुछ सरल साधन। मू. 1 रुपया

2. सूर्य चिकित्सा विज्ञान- सूर्य की प्रचंड रोगनाशक शक्ति द्वारा वैज्ञानिक ढंग से कठिन रोगों की चिकित्सा। मूल्य 1 रुपया

3. प्राणचिकित्सा विज्ञान- मनुष्य के अंदर गजब की विद्युत शक्ति है। उसके द्वारा समस्त रोगों का इलाज। विदेशों में इस विधि से बड़े-बड़े अस्पताल चल रहे हैं। मूल्य 1 रुपया

4. परकाया प्रवेश- मैस्मरेजम के ढंग पर आत्मशक्ति को दूसरे के शरीर में प्रविष्ट करके उसे इच्छानुसार चलाने की साधना। मूल्य 1 रुपया

5. स्वस्थ और सुन्दर बनने की अद्भुत विद्या- अध्यात्मिक सरल साधनों द्वारा तन्दुरुस्त और खूबसूरत बनने के अद्भुत उपाय। मूल्य 1 रुपया

6. मानवीय विद्युत के चमत्कार- शरीर की बिजली से कैसे-कैसे आश्चर्यजनक कार्य होते हैं इसका विस्तृत वैज्ञानिक विवरण। मूल्य 1 रुपया

7. स्वर योग से दिव्य ज्ञान- स्वरोदय विद्या द्वारा गुप्त और भविष्य की बातों को जान लेने की रहस्यपूर्ण साधना। मूल्य 1 रुपया

8. भोग में योग- शीघ्र पतन, स्वप्न दोष, प्रमेह, नपुँसकता आदि विकारों को योग साधनों से दूर करने और मनचाही स्तम्भन शक्ति प्राप्त करने की गुप्त विधियाँ। मूल्य 1 रुपया

9. बुद्धि बढ़ाने के उपाय- जिन लोगों को मस्तिष्क से काम करना पड़ता है या जो स्मरण शक्ति बढ़ाकर बुद्धिमान बनना चाहते हैं उनके लिए यह कल्प वृक्ष के समान है। मूल्य 1 रुपया

10. धनवान बनने के गुप्त रहस्य- बड़े-बड़े कुबेरों द्वारा कार्य रूप में आई हुई ऐसी विधियाँ हैं जो आपको भी धनवान बना सकती हैं। मूल्य 1 रुपया

11. पुत्र या पुत्री उत्पन्न करने की विधि- मन चाही संतान प्राप्त करने के सारे रहस्य इस पुस्तक में खोल कर रख दिये हैं। मूल्य 1 रुपया

12. वशीकरण की सच्ची सिद्धि- दूसरों को अपने वश में करने के लिये बिलकुल सच्चे और हजारों वार आजमाये हुए प्रयोगों का वर्णन। मूल्य 1 रुपया

13. मरने के बाद हमारा क्या होता है?- मृत्यु के उपरान्त प्राप्त होने वाले स्वर्ग, नरक, पुनर्जन्म, प्रेत योनि, मृतकों का साक्षात्कार, उनकी सहायता प्राप्त करना आदि बातों पर अनुभवपूर्ण वर्णन। मूल्य 1 रुपया

14. जीव जन्तुओं की बोली समझना- मूक जीव जन्तुओं की भी स्वतंत्र भाषा है और वे भी हमारी ही तरह बातचीत करते हैं। उसे समझने का महत्वपूर्ण विधान। मूल्य 1 रुपया

नोट- चार या अधिक पुस्तकें लेने पर चौथाई कमीशन दिया जाता है। हर पुस्तक पर एक आना के हिसाब से पोस्टेज लगता है, जो खरीदार को देना होता है। इस प्रकार कमीशन काटकर और पोस्टेज जोड़ कर 1 रुपया प्रति पुस्तक के हिसाब से मूल्य भेजना चाहिए। चार से कम पुस्तकें मंगाने वाले सात आना प्रति के हिसाब से भेजें।

पता- मैनेजर ‘अखण्ड ज्योति’, मथुरा।

इस विपत्ति की घड़ी में

द्वापर के अन्त में शमीक ऋषि ने जब राजा परीक्षित को यह संदेश भेजा कि शृंगी ऋषि के शाप को तक्षक के काटने के कारण सात दिन में उसकी मृत्यु हो जायगी, तो राजा सावधान हो गया और उसने अपना लोक परलोक सुधारने के लिए आध्यात्मिक अनुष्ठान किया। विपत्ति भी उसके लिए कल्याण कारी हुई, उसे मनुष्य से देवता बना गई।

आज जब कि संसार में त्राहि-त्राहि मची हुई है और प्रलय की घनघोर घटाएं भारत की देहरी से टकरा रही हैं, हर एक जागृत आत्मा का कर्त्तव्य है कि वह सजग हो जाय। आज कलयुग के अन्त में अखण्ड ज्योति संसार के नाम एक सन्देश भेजती है कि-भूत काल में मनुष्य जाति ने जो दुष्कर्म किये हैं उनका फल उन लोगों को इस लिए भुगतना पड़ेगा , कि सब एक सूत्र में बँधें हुए हैं-एक के पाप का दूसरा भी जिम्मेदार है। किसे कितना कष्ट भुगतना पड़ेगा, यह ईश्वर जाने, पर हर एक को सावधान अवश्य हो जाना चाहिए।

अखण्ड ज्योति की आध्यात्मिक मिशन जोर जोर से खतरे का घन्टा बजा रहा है कि- खतरे की घड़ी पास है, इस विपत्ति के समय शीघ्र से शीघ्र जो काम करने का है, वह यह है कि आप सर्वतो भावेन सत्य नारायण की शरण की शरण अपने को समर्पित कर दें। बालक की तरह सत्य के अंचल में अपने को छिपा लें जहाँ कि गैस बम कुछ भी असर नहीं कर सकते। नित्य प्रभु की प्रार्थना करना, बुराइयाँ त्याग कर भलाई अपनाना और शक्ति संग्रह करना यह कार्य आज से ही प्रारम्भ हो जाने चाहिए। सर्वभौम वातावरण को पवित्र बनाने के लिए आध्यात्मिक ब्रह्म यज्ञ की आवश्यकता है। शुभ विचार करना ही ब्रह्म यज्ञ है।

“अखण्ड ज्योति” ब्रह्म-यज्ञ का प्रसार कर रही है!

आप अखण्ड ज्योति का प्रचार कीजिए!!


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