कर्त्तव्य की महत्ता

March 1942

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(1)

काम ही स्मारक है।

किसी युग का इतिहास, उस युग के राजाओं का या सेनापतियों का इतिहास नहीं कहा जा सकता। सैंकड़ों युद्धों से मानव जाति की कोई भलाई नहीं होती। सच्चा इतिहास महापुरुषों के चरित्रों से पूर्ण रहता है, जिन्होंने भावी सन्तान के लिये उत्तम उदाहरण उपस्थित किये हैं। वैस्टमिनस्टर के गिरजे में एक कब्र के ऊपर लिखा हुआ है- “इसके नीचे इस गिरजे और नगर को बनाने वाला ‘क्रिस्टोफर रेन’ सो रहा है। वह जनता की भलाई के लिये 90 वर्ष तक जीवित रहा। यदि तुम उसका स्मारक देखना चाहते हो, तो उसकी कृतियों की सुन्दरता देख लो।”

(2)

पराजय में विजय

नील नदी के पास युद्ध का मोर्चा पड़ा हुआ था। अपने कप्तानों के सामने नेलसन ने लड़ाई का नक्शा पेश किया। उसे देखकर कप्तान वेरी को बड़ी भारी प्रसन्नता हुई। उसने कहा- ‘अगर हमारी ही विजय हुई, तो संसार हमें कितना आदर देगा?’

नेलसन से चुप न रहा जा सका। उन्होंने कहा- “अगर’ के लिये कोई गुँजाइश नहीं है। विजय निश्चय ही हमारी होगी। हाँ, यह सवाल दूसरा है कि उस विजय की कथा को कहने-सुनने वाला हम में से कोई बचेगा या नहीं?’

सारे विचार-विनिमय के बाद जब सेनानायक विदा होने लगा, तो नेलसन ने गम्भीर दृढ़ता के साथ कहा- ‘कल इस समय तक या तो मुझे विजय प्राप्त होगी या वैस्टमिनस्टर के चर्च में मेरी लाश को दफना दिया जायेगा।’ जिस युद्ध में अन्य अधिकारी पराजय की आशंका कर रहे थे,उसी में एक साहसी आत्मा विजय का प्रादुर्भाव करती है।

(3)

चलो! आगे बढ़ो!

इंजीनियर बहुत प्रयत्न कर रहे थे और अपना-अपना चातुर्य दिखाने में व्यस्त थे। नेपोलियन ने उनसे पूछा- ‘क्या सेन्ट बरनार्ड की घाटी का रास्ता पार करना सम्भव है?’

इंजीनियरों ने कुछ झिझकते हुये कहा- ‘हाँ, कदाचित हम उसे पार कर सकेंगे।’

‘कदाचित’ शब्द के गर्भ में महान कठिनाई और असफलता की छाया झाँक रही थी, पर नेपोलियन इससे जरा भी विचलित नहीं हुआ। उसने विघ्नों की उपेक्षा करते हुये दर्पपूर्वक कहा- ‘सिपाहियों’! आगे बढ़ो!

आस्ट्रिया और इंग्लैंड के बुद्धिमान लोग उपहास करते थे कि नाटा लड़का किस प्रकार 60 हजार सेना और हजारों मन युद्ध-सामग्री को लेकर महान ऑल्प्स पर्वत को पार कर जायेगा? किन्तु पर्वत के दूसरी ओर उसके दो साथी अपनी सेनाओं सहित विपत्ति में फँसे हुये थे, ऐसे समय में वह चुप कैसे बैठ सकता था?

कठिनाइयों से लड़ते-लड़ते नेपोलियन का कलेजा व्रज हो गया था। वह बिना इंजीनियरों की सफलता की प्रतिक्षा किये हुए, गगनचुम्बी ऑल्प्स पर चढ़ दौड़ा और सेना सहित उसे पार कर गया।


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