(कुरान शरीफ की शिक्षा)
खुज़िल अ़फ्वा और अमुर्बिऽल् उर्फि व अ़ अ़रिज़ अ़निऽल् जाहिलीन्।
-सूरये अअराफ 2/9/24
पूर्णतः क्षमा कर शुभ कर्मों की आज्ञा दे तथा भूलों से दूर रहे।
या अय्युहऽल्लजीना आमनुऽऽत्तक़ु ऽऽल्लाहा व कून् ऽ मअस्सादिकीन् ॥
-सूरये तौवा 2/11/15/4
हे विश्व वासियों! अल्लाह से डरते रहो और सच्चों के साथ रहो।
बल अज्रुऽल आखिरति ख़य रुल्लिल्लजीना आमन् ऽव काऽनू ऽ यत्तकून्।
-सूरये यूसुफ 3/13/8
और अन्तिम दिवस का परिणाम उन लोगों के लिए उत्तम है, जिन्होंने विश्वास किया और जो संयम से रहे।
अल्ल जीना आयनूऽव अमिलु ऽ स्सालिहाति तूषा लहु व हुस्नु म आव्।
-सूरये रआद 3/13/4/5
जिन्होंने विश्वास किया और सुकर्म सम्पादन किया, उनको प्रशंसा है और उनका स्थान ऊँचा है।
व अकीमुऽस्सलाता व आतु ऽज्ज़काता वऽर्क ऊऽम अ़र्गऽकिईन।
-सूरये बकर 1/1/6
प्रार्थना करो तथा दान दो और जो मनुष्य झुकते हैं उनके साथ तुम भी झुका करो।
व ऽस्तईनऽबिस्सब्रि व स्सलाति, .................व अन्न हुम इलय्हि राजिऊन्।
-सूरये बकर 1/1/6
और सन्तोष, सहनशीलता और नमाज का आश्रय ग्रहण करो। निस्सन्देह यह कठिन काम है, परन्तु उन लोगों के लिये कठिन नहीं, जिनके अन्तःकरण नम्र हैं और जिनके समक्ष यह विचार रहता है कि उन्हें अपने परिपालक से मिलना है और उसी की ओर लौटकर जाना है।
बला मन् कसवा सय्यिअतव्य अहाऽतत् बिही रुती अतुहूँ फउला इका अस्हाबुन्नारि हुम् फीहा ख़ालिदून्।
-सूरये बकर 1/1/10
वास्तविक बात तो यह है कि जिन्होंने कुकर्म कमाये और जो अपने पाप परिधि में आ गये, ऐसे ही लोग फलतः नारकी हैं, वह सदा नरक ही में रहेंगे।
व ल्लज़ीना आमनू व आमिलुस्सा लिहाति उला इका अस्हाबुल् जन्नति, हुम फीहाऽखालिदून।
-सूरये बकर 1।1।10
जिन लोगों ने धर्म पर विश्वास किया और शुभ कर्म किये, ऐसे ही मनुष्य बहिश्ती हैं, वह सदा बहिश्त में वास करेंगे।
व अक़ीमुस्सलाता व आतुज्ज़काता.................विमाऽत अलूमा वसीर।
-सूरये बकर 1।1।13
और प्रार्थना करते रहो एवं दान देते रहो। जितनी भलाई अपने लिये संचय करके पहले भेज दोगे, उतनी ही अल्लाह के यहाँ मिलेगी। निस्सन्देह जो कुछ भी तुम कर रहे हो, अल्लाह देख रहा है।