जो चीजें खुद नष्ट होने वाली हों उनमें मन लगाकर तुम सुख नहीं पा सकते। वास्तविक सुख उसमें मिल सकता है जो स्थायी, नित्य और अविनाशी है।
जिन लोगों ने नेकी और सचाई का मार्ग छोड़ दिया है, उन्हें अपनी रक्षा करने की चिन्ता करनी चाहिए किन्तु जो सदा भलाई में रत रहते हैं उन्हें अपनी रक्षा की कोई जरूरत नहीं है।