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June 1940

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निःस्वार्थ भाव से सबके साथ प्रेम करो अपने प्रेम बल से दूसरों के चरित्र को सुधारो उन्हें ऊँचा उठाओ। तुम्हारे आचरण आदर्श होते ही तुम अपने स्वार्थहीन प्रेम के बल से गिरे हुए व्यक्ति को ऊँचा उठा सकोगे। याद रखो, शुद्ध आचरण युक्त निःस्वार्थ प्रेम में बड़ा बल होता है।

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जो ब्रह्मचारी नहीं रहें, जिन्होंने कुछ कमाया नहीं जिन्होंने कुछ सीखा नहीं, वे अपने अन्तिम क्षणों में टूटे हुए मनुष्य के समान अपने अतीत को याद कर कर के आँसू बहाते रहते हैं।


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