Quotation

June 1940

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

जो मनुष्य ईश्वर और उसके अद्वितीय अविचल सम्राट पद को नहीं मानता उसकी आकाँक्षा कभी तृप्त नहीं हो सकती।

*****

मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली भाँति परिचित रहता है। परन्तु उस अपने दल से भी परिचित होना चाहिये।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here: