चाहे कितना ही ऊंचा आसन हो चाहे कितना ही आदर का पल हो सोने से लदा गधा वहाँ से भी उठकर चल देगा।
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यह संसार मृत्यु द्वारा आहुत और निष्प्राण किया जा रहा है और बुढ़ापे द्वारा आवृत किया जा रहा है। दिन रात आयु कम हो रही है। अभागे आदमी! इन सब बातों को जान करके भी तू क्यों नहीं जानता?