शारीरिक लक्षणों से मनुष्य की पहचान

June 1940

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

(श्री.-प. कालूराम शर्मा)

शरीर शास्त्र के पंडित जानते हैं कि मनुष्य की मानसिक वृत्तियों आदतों के अनुसार उसके शरीर की बनावट भी हो जाती है। किसी आदत के दृढ़ होने पर उसको लक्षण शरीर पर स्पष्ट प्रतीत होने लगते हैं। इन लक्षणों द्वारा मनुष्य का स्वभाव जाना जा सकता है। इस लेख में उसी पर प्रकाश डाला जा रहा है। आशा है पाठक कि इससे लाभ उठावेंगे।

मस्तक के लक्षण

1. जिस मनुष्य का मस्तक ऊँचा तथा चौड़ा है वह राजा के समान ऐश्वर्य भोगता है।

2. जिसका माथा चौड़ा हो और उस पर शंख चिन्ह हो वह व्यक्ति निर्धन वंश में जन्म लेकर भी विद्वान और यशस्वी होगा।

3. जिसके माथे पर धनुष या श्रीवत्स के चिन्ह हों वह पराक्रमी और बड़ा प्रतापी होगा।

4. जिसका माथा कम चौड़ा हो एवं उसका डडडड का सा चिन्ह हो तो वह धर्माचार्य के रूप में लोगों को ठगने वाला और पाप वृत्तियों में रत रहने वाला होगा।

5. जिसका मस्तक छोटा हो वह साधारण डडडड परन्तु उदार और धर्म प्रेमी होता है।

6. जिसका मस्तक ऊँचा नीचा टेढ़ा मेढ़ा उभरा हुआ होता है वह दुर्बुद्धि, पाप कर्मों वाला होता है।

7. जिसके मस्तक पर ऊँची ऊँची रेखाएं और डडडड की पंखड़ियों की तरह नसें चमकें वह बहुत धनवान होता है।

8. जिसके मस्तक पर पूरी तीन रेखाएं स्पष्ट दिखाई दें वह दीर्घ जीवी और सदाचारी होता है।

9. जिसके मस्तक पर चार रेखाएँ स्पष्ट दिखाई दें वह सौ वर्ष की आयु का उपभोग करता है।

10. जिसका मस्तक नीचा, बीच में गड्ढेदार और बेढंगी नसों से भरा हुआ हो वह दुष्ट कर्मों में रत और जेल आदि राज दंडों को भोगता है।

11. जिसके मस्तक पर सीधी एक रेखा बालों की जड़ तक चली गई हो वह सुख और यश के साथ 80 वर्ष तक जीवित रहता है।

12. जिसकी भृकुटी के ऊपर मस्तक पर चन्द्रमा के समान रेखाएं प्रतीत हों वह 120 वर्ष जीता है।

13. जिसके मस्तक पर पूरी पाँच रेखाएं हों वह धनवान और सौ वर्ष की आयु वाला होता है।

14. जिसके मस्तक पर एक रेखा स्पष्ट और ठीक तरह से देख पड़े वह 90 वर्ष जीवित रहता है।

15. जिसके मस्तक पर खंडित तीन चार रेखाएं हों वह बुद्धिमान होते हुए भी विश्वासघाती, कपटी, चिंतित लम्पट और अल्पायु होता है।

16. जिसके मस्तक के बाएं भाग में टेढ़ी मेढ़ी और छोटी छोटी रेखाएं हों वह जवानी आने से पूर्व ही मर जाता है।

17. जिसके माथे पर एक भी रेखा न हो वह 90 वर्ष जीता है।

18. जिसके मस्तक पर 6, 10 या 11 रेखाएं अधूरी हों तो वह 40 वर्ष की आयु में मर जाता है।

19. जिसके मस्तक पर भृकुटी के पास टेढ़ी मेढ़ी किन्तु पूरी एक रेखा बने तो वह 30 वर्ष जीवित रहेगा।

20. जिसके मस्तक पर भृकुटी के पास केवल एक रेखा बने किन्तु भृकुटियों के बाल आपस में मिले हुए न हों तो वह राजा या राजा के समान ऐश्वर्यमान होगा।

21. मस्तक सकोड़ने पर भी जिसके ललाट पर सलवटें न पड़ें वह बहुत ही थोड़ी आयु तक जीवित रहता है।

22. जिसके मस्तक पर पूरा रामानंदी तिलक का चिन्ह हो वह बड़ा होनहार, पुरुषार्थी, धनी, विद्वान यशस्वी और 50-60 वर्ष की आयु भोगने वाला होता है।

23. जिसका मस्तक का रामानन्दी तिलक दूर से ही दिखाई पड़े, भृकुटियों से लेकर बालों की जड़ तक चला गया हो उस तिलक के बीच की रेखा कुछ टूटी सी हो तो वह 13 मास या 13 वर्ष के अन्दर मर जाता है। यदि इस आयु को पार कर गया तो किसी राजा का मंत्री होगा।

24. ललाट सकोड़ने पर जिसके मस्तक पर तिरछी तीन रेखाएं पड़ें वह गायक, चार पड़ें पर धनी, पाँच पड़ें वह विद्वान और छै पड़ें वह निर्धन होता है।

25. जिसका माथा कम चौड़ा किन्तु अधिक ऊँचा हो वह विद्वान किन्तु धनहीन होता है।

भृकुटी (भौंह) के लक्षण

1. जिसकी भौहें हलकी काली, मोटी, छोटी और खुरदरी हों वह दुराचारी और दरिद्री होता है।

2. जिसकी भौहें खुली हुई, गहरी, काली, चिकनी नरम और छोटी हों वह धनी, सदाचारी और विद्वान है।

3. जिसकी भौहें उखड़ी हुई सी, छिर छिरी, खंडित छोटे सिरे वाली हों, वह व्यक्ति जन्म भर दुखी रहेगा।

4. जिसकी भौहें नाक की हड्डी के पास से निकल कर दौज के चन्द्रमा के समान झुकी हुई हों, बड़ी-चौड़ी तथा काली हों वह पुरुष अवश्य ही धनवान होगा।

5. जिस पुरुष की भौहें बीच में अधिक झुकी हुई हों, वह दुराचारी और नीच विचारों वाला होगा।

6. जिसकी भौहें सदैव नीचे को ही गिरी सी रहें और चिपटी से रहें, वह निर्धन, दुखी और सन्तान से रहित होगा।

7. जिसकी भौहें ऊँची नीची हों वह दरिद्री रहेगा।

8. जिसकी भौहें बहुत ऊँची और धनुषाकार हों वह सुखी रहेगा।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118