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July 1961

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आ देवानाम भवः केतुरग्ने। -ऋग्. 3।1।17

केवल श्रेष्ठ व्यक्ति ही जनता के नेता बनें।

चरित्रहीन लोगों के हाथों में नेतृत्व न पहुँचने दो।


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