कहा तो उनने था- पर सुने हम भी

July 1961

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सत्य को मजबूती से पकड़ो

भगवान बुद्ध जब मरने लगे तब उनने अपने शिष्यों को बुलाकर अन्तिम उपदेश दिया “तुम लोग अपने-अपने ऊपर निर्भर रहो। किसी दूसरे की सहायता की आशा न करो। अपने भीतर से ही अपने लिये प्रकाश उत्पन्न करो। सत्य की ही शरण में जाओ और उसे मजबूत हाथों से पकड़े रहो।”

गलत परम्परा न डालूँगा

सुकरात को प्राण दण्ड की आज्ञा सुनाई गई। वे जेल में बन्द थे। उनके परम शिष्य क्रीटो ने जेल इसे भाग निकलने का सारा प्रबन्ध कर दिया और कहा गुरुदेव अब यहाँ से चुपचाप भाग चलिये और अपना जीवन बचाइए। सुकरात ने ऐसा करने से स्पष्ट इंकार कर दिया। उनने कहा-राजकीय कानूनों का पालन करना प्रजा का धर्म है। यदि मैं इस प्रकार कानून की अवज्ञा करके अपने प्राण बचाने के लिये भाग चलूँ तो प्रजा में एक गलत परम्परा का जनम होगा।

उत्कृष्टता का आत्मगौरव

एक लुहार बढ़िया हथौड़े बनाने के लिये प्रसिद्ध था। एक व्यक्ति उसके पास गया और कहा-जैसे हथौड़े आप बनाते हैं उससे भी अच्छा मेरे लिये बना दें, मैं उसकी अधिक कीमत देने को तैयार हूँ। लुहार ने उत्तर दिया-मान्यवर मैं उससे और अच्छा हथौड़ा नहीं बना सकता। यदि बना सकता होता तो पहले ही बना दिया होता। मैं हथौड़ों की उत्कृष्टता को अपनी उत्कृष्टता मानता हूँ और उसमें किसी प्रकार की कमी रहने देना पसन्द नहीं करता।

मनुष्य की पहचान

स्वामी विवेकानन्द जब अमेरिका की एक सड़क पर से गुजर रहे थे तो उनकी विचित्र वेशभूषा को देखकर लोग उन्हें मूर्ख समझने और मजाक बनाने लगे। अपने पीछे आती हुई भीड़ के सम्मुख स्वामी जी रुके और उनने पीछे मुड़कर कहा-सज्जनों मेरी वेषभूषा को देखकर आश्चर्य मत करो। आपके देश में सभ्यता की कसौटी पोशाक है। पर मैं जिस देश से आया हूँ वहाँ कपड़ों से नहीं मनुष्य की पहचान उसके चरित्र से होती है।

सारी दुनियाँ ही स्कूल है

स्वामी रामतीर्थ जब छोटे थे, पड़ोस के गाँव के स्कूल में पढ़ने जाया करते थे। वे रास्ते में भी पुस्तकें पड़ते जाते थे। एक दिन एक किसान ने कहा-बेटा यहाँ खेतों में कोई स्कूल थोड़े ही है जो यहाँ भी पढ़ते हो। रामतीर्थ ने उत्तर दिया-काका जी मेरे लिये तो सारी दुनियाँ ही स्कूल है।

गरजो मत-बरसो

विद्वान् कार्लाइल ने अपने आत्म चरित्र में लिखा है वर्षा के दिनों में एक दिन अचानक हमारे पड़ोस में दुर्घटना पूर्ण मृत्यु हुई। लोग उस मौसम को कोस रहे थे। मैंने अनुमान लगाया कि उस आदमी की मौत बादलों के गर्जन से हुई। पर जब मैं बड़ा हुआ तब समझा कि मौत गर्जन से नहीं बिजली गिरने से होती है। तब से मैंने गरजना बन्द कर दिया और चमकने की तरकीब ढूँढ़ने लगा।

हिम्मत से काम करो

तूफान में जब नाव डगमगाने लगी तो मल्लाह घबराये। उसमें सवार सीजर ने कहा-घबराओ मत, हिम्मत से काम करो। तुम्हारी नाव के साथ सीजर और उसका भाग्य भी सवार है, वह आसानी से नहीं डूब सकती।


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