-जिनके हृदय में दया धर्म बसते हैं, जो अमृतवाणी बोलते है और जिनके नेत्र नम्रता वश नीचे रहते हैं असल में वे ही ऊँचे है।
-मलूकदास
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-जिसमें सत्य और सेवा पूर्ण रूप से प्रकट हो, वह संसार के हृदयों का साम्राज्य अवश्य भिगोया और अपनी मनोभिलाषा पूर्ण करेगा।
-महात्मा गाँधी
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-जो उपकार जताने का इच्छुक है उसे द्वार खटखटाना पड़ता है, पर जिसमें प्रेम है उसके लिये द्वार खुला है।
-रवीन्द्रनाथ