हम अपने भाग्य के आप मालिक है। अपने प्रारब्ध के रचयिता हमीं है।
-भगवान बुद्ध
प्राप्ति के आनन्द की अपेक्षा प्रयत्न का आनन्द श्रेष्ठ है।
-विनोबा भावे