“हमें ईश्वर का सच्चा साक्षात्कार तभी होता हैं, जब हम उसके सामने अपनी वाचनाएँ लेकर नहीं, किन्तु अपनी भेंट लेकर जाते हैं।”
-रवीन्द्र
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“यदि कोई चाहे कि वह दुनिया में अपना स्वार्थ साधन भी करे और ईश्वर को भी प्राप्त कर ले, तो यह असंभव है।”
-अज्ञात