“उपवास एक प्रकार का प्रायश्चित है। इससे पतित अपने दोषों का मान और अनुमान होता है। इससे मन हलका और शांत होता है।
-नारायण
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“ग्लानि और दुःख के समय तथा आत्मशुद्धि और चित्त की एकाग्रता के लिये उपवास बहुत सहायक होता है।”
-महात्मा गाँधी