गीत संजीवनी-1

कौमी तिरंगे झण्डे

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कौमी तिरंगे झण्डे- ऊंचे रहो जहां में।
हो तेरी सर बुलन्दी- ज्यों चाँद आसमां में॥

तू मान है हमारा- तू शान है हमारी।
तेरे मुरीद हैं हम- तू जान है हमारी॥
दिखती हमें शहीदों- की आन इस निशां में॥

आकाश जमीं पर- हो तेरा बोलबाला।
झुक जाये तेरे आगे- हर तख्तताज़ वाला॥
नफरत को भूल जायें- आ तेरे आशियां में॥

आजाद हिन्द सारा- खुश होके गा रहा है।
सर पर तिरंगा झण्डा- जलवा दिखा रहा है॥
इंसानियत की खुशबू- भर जाय इस फिजां में॥

इंसानियत का कर दे- तू हर चिराग रोशन।
ईमान प्यार फैले- सबको सिखा दे यह फ़न॥
खिल जायें फूल से मन- दुनियाँ के गुलशितां में॥
मुक्तक-
तिरंगा ध्वज, हमारी कौम की ही शान का झण्डा।
तिरंगा ध्वज, शहीदों के अमर बलिदान का झण्डा॥
तिरंगा ध्वज, अनय से जूझ जाने की कहानी है।
तिरंगा ध्वज, अहिंसा, सत्य, हिन्दुस्तान का झण्डा॥    
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