गीत संजीवनी-1

गुरु महिमा है अपार

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गुरु महिमा है अपार, जगत में गुरु महिमा है अपार।
गुरु कृपा से जन्म सफल हो, भवसागर हों पार॥
गुरु हैं ब्रह्मा, विष्णु कहाते।
शिवशंकर बन अशिव मिटाते।
करें दिव्य संचार, जगत में गुरु महिमा है अपार॥
यह जीवन है दिव्य खजाना।
इसको यूँ ही नहीं गँवाना।
करें दिव्य संचार, जगत में गुरु महिमा है अपार॥
गुरु जीवन के कोष कहाते।
दोष हटाते गुण विकसाते
करें दिव्य संचार, जगत में गुरु महिमा है अपार॥
भीतर अपने है परमात्मा।
सद्गुरु रूपी अन्तरात्मा।
करें दिव्य संचार, जगत में गुरु महिमा है अपार॥
गुरु चरणों में भक्ति जगाओ।
करो साधना शक्ति पाओ।
करें दिव्य संचार, जगत में गुरु महिमा है अपार॥
मुक्तक-
गुरुब्रह्मा गुरु विष्णु है, गुरु ही शंकर रूप।
गहो शरण पा जाओगे, जीवनसिद्धि अनूप॥    
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