गीत संजीवनी-1

ग्राम स्वावलम्बन अभियान

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ग्रामतीर्थ विकसित करने का, शुरू करें अभियान।
जिससे सुखी रहे हर मानव, बनें सभी गुणवान॥
गाँवों में हो प्यार मोहब्बत, जाति- पाँति का भेद नहीं।
मिल जुलकर सब रहें एक संग, किसी बात का खेद नहीं।
ग्रामतीर्थ है जहाँ वहाँ हो हर मानव गुणखान॥
गाँवों की गलियाँ सुन्दर हों, सुन्दर हों घर द्वार।
घर आँगन में हो खुशहाली, सुखी रहें परिवार।
सामूहिक पुरुषार्थ करें हम, करें ग्राम उत्थान॥
गौमाता का दूध, दही, घी, जीवन स्वस्थ बनाता।
जिस घर में हो गाय वही घर, स्वच्छ पवित्र कहाता।
दूध, दही की नदी बहे तो ,, बढ़े देश की शान॥
हों कुटीर उद्योग गाँव में, मिले सभी को काम।
पढ़ना लिखना भी सीखें सब, साक्षर हों गुणधाम
स्वावलम्बी हो गाँव हमारा, हो सबको यह ज्ञान॥
व्यसन मुक्त हो गाँव हमारा, स्वस्थ रहे इन्सान।
सद्वृत्ति अपनायें सब जन, बनें उदारसुजान
प्रेम, प्यार, सहकार बढ़े हर, घर हो सुख की खान॥  
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