अद्भुत एवं अलौकिक है मानवी-चेतना

September 1998

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आमतौर पर मनुष्य की देखने-सुनने व समझने की इन्द्रिय-क्षमता प्रत्यक्ष जगत तक ही सीमित है। सामान्यक्रम में हम में से हर एक अपने आस-पास एवं वर्तमान को ही जानने की सामर्थ्य रखता है। परन्तु यदा-कदा जीवन में ऐसे संयोग आते हैं, जिनसे यह पता चलता है कि इन्सान के भीतर सामान्य से परे और भी बहुत कुछ है। उसमें ऐसी अलौकिक सामर्थ्य निहित है, जिससे वह प्रत्यक्ष एवं आभासित जगत से परे परोक्ष एवं अनागत भविष्य के गर्भ में झाँक सकता है। विख्यात विदुषी मार्ग्रेट ग्रे ने अपनी पुस्तक ‘रिटर्न फ्राॅम डेथ’ में ऐसे अनेक उदाहरणों को सँजोया है। उनके अनुसार ऐसी क्षमताएँ प्रायः उनमें देखी गयी हैं, जिन्हें मृत्यु के अनुभव से गुजरना पड़ा। उनकी शोध के अनुसार ऐसे अनुभव से गुजरने के बाद अनेकों व्यक्ति अतीन्द्रिय द्रष्टा बन गये। उनमें से कुछ अपने व दूसरे व्यक्तियों के सुदूर हो गए। तो कुछ ने समूची मानव-जाति के भविष्य को देखकर चिन्ताजन्य किन्तु अन्ततः आशा भरे उद्गार व्यक्त किए।

गर्भाशय हटाने के आप्रेशन के दौरान मृत्यु के अनुभव से गुजरी जेनीफर का कहना है कि मैं नहीं जानती कि यह सब कैसे हुआ? लेकिन इस अनुभव के बाद मैं अतीन्द्रिय द्रष्टा बन गयी हूँ। ऐसे ही पेट के बड़े आप्रेशन से गुजरी एक अन्य महिला ओलीबुल ने अपनी इस विलक्षण अनुभूति को बताते हुए कहा, मृत्यु के अनुभव के बाद मुझे कई बार भावी विकट परिस्थितियों का बोध हुआ और साथ ही दृढ़ता से यह भी लगा कि यह आवश्यक था। अब मैं भावी घटनाओं को देखने में सक्षम हूँ। जब यह होता हैं तो मुझे लगता है कि मैं किसी महत्तर शक्ति के घेरे में आ गयी हूँ।

चेरिंग क्रॉस हॉस्पिटल में एक अन्य महिला ने मार्ग्रेट को बतलाया कि एक सड़क दुर्घटना के बाद मेरे जीवन में कुछ विचित्रता आ गयी है। अब मैं जब थकी होती हूँ, तब भविष्य में घटित होने वाले दृश्यों को देख लेती हूँ, बाद में सच निकलते हैं। हाइपर- वेन्टीलेशन के आघात के कारण शरीर विलगाव का अनुभव कर चुकी मार्टिना ने बतलाया, इस अनुभव के बाद मुझे लगा कि मैं अतींद्रिय द्रष्टा बन गयी हूँ। यह मेरे साथ कई बार हुआ है। जैसे कि मैं अपने मित्र के बारे में सोचती हूँ। उसी क्षण घण्टी बजती है और उसी मित्र से बात होती है।

ऐसे ही कुछ लोगों में स्वचालित लेखन की क्षमता को विकसित होते देखा गया है। गम्भीर बीमारी के दौरान मृत्यु के अनुभव से गुजरे ई. टी. स्टर्डी ने बताया, मुझे पेंसिल व कागज का टुकड़ा उठाने के लिए कहा गया। मुझे लगा कि मैं किसी बड़ी शक्ति के प्रभाव में हूँ, जो मेरे माध्यम से लिख रही है। इस क्रम में मुझे जीवन की कई समस्याओं के समाधान दिए गए व कई भावी घटनाओं को स्पष्ट किया गया। यह सब मैं पहले नहीं कर सकता था। मेरुदण्ड में विषाणु संक्रमण के कारण मृत्यु के अनुभव से गुजरे एक अन्य व्यक्ति इगैरसोल ने बताया कि मेरे पास स्वचालित लेखन द्वारा लिखित तथ्यों का मोटा संग्रह है, जो मृत्यु के अनुभव के बाद शुरू हुआ था और अभी भी चल रहा है।

कई लोगों में इस तरह के अनुभव के बाद पूर्व दर्शन की क्षमता अनोखे ढंग से जाग्रत हो गयी। पेट के आप्रेशन के दौरान एक महिला कार्नेलिया के हृदय की धड़कन बन्द हो गयी। उस दौरान उसे बड़ा ही विलक्षण अनुभव हुआ। अपनी इस अनुभूति को व्यक्त करते हुए उसने बताया, मुझे यह कहा गया कि चल रहे कठिन क्षण कुछ शिक्षण देने के लिए हैं। परन्तु कुछ समय पश्चात सभी बाधाएँ दूर हो जाएँगी और मैं बिलकुल अलग तरह का जीवन जी रही हूँगी। यह सब वैसा ही निकला जैसा कि मैंने देखा था।

प्रसूतिकाल के दौरान मृत्यु के मुख से गुजरी एक महिला मेरीहेल ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, इस अनुभव के समय मुझे यह बोध था कि मैं घटित होने वाली चीजों को पहले से ही जानती थी। लेकिन बाद में कुछ अंश को ही याद रख पाई। मुझे बताया गया था कि जब भी मुझे आवश्यकता पड़ेगी मैं उन्हें याद कर पाऊँगी। तब से मैंने इसे सच पाया है। जब भी कुछ घटित होता है तो मुझे अहसास होता है कि मैं इसे पहले से ही जानती हूँ कि यह कैसे घटित होने वाला है।

इसी संदर्भ में ‘इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर डेथ स्टडीज’ के संस्थापक प्रोफेसर कैनेथरिंग द्वारा किए गए शोध-अनुसंधान बहुत महत्वपूर्ण है। उनके अनुसार इंग्लैण्ड के एक गाँव का दस वर्षीय वेवल एक दुर्घटना के बाद हुए आप्रेशन के दौरान मृत्यु के अनुभव से गुजरा। उस समय उसने विचार-संप्रेषण द्वारा कुछ स्वेत वस्त्रधारी अलौकिक आत्माओं से बात-चीत की। आपरेशन के द्वारा उसे भविष्य में होने वाली घटनाओं की स्मृति थी। लेकिन तब उन पर उसे विश्वास नहीं था। लेकिन बाद में समय के साथ ये बातें सही निकलीं। इस क्रम में उसने पाँच विशेष स्मृतियों का उल्लेख किया है। इनमें प्रथम थी, २८ वर्ष में शादी का होना। दूसरी थी, दो बच्चों का होना। तीसरे में उसने नया घर देखा था। चौथी स्मृतियाँ दीवार के पीछे एक विचित्र चित्र की, जो उसे समझ में नहीं आया। बाद में यह ‘एअर हीटर’ निकला। उन दिनों इंग्लैण्ड में इसका प्रचलन नहीं था।

मृत्यु के अनुभव से गुजरे लोगों के भविष्य-दर्शन की क्षमता व्यक्तिगत स्तर तक ही सीमित रही हो, ऐसी बात नहीं है। कइयों में इसका विकास व्यापक एवं विराट स्तर पर हुआ है। उन्होंने अपनी अनुभूतियों में विश्व के भविष्य एवं मानवता का आगत देखा। प्रोफेसर कैनेथरिंग ने इस तरह के अनुभवों का संकलन प्रस्तुत किया है। जो वर्तमान विश्वव्यापी उथल-पुथल आगामी विषम स्थिति व अन्ततः उज्ज्वल भविष्य का दृश्य प्रस्तुत करता है।

इवान स्टीफेन ने अपनी अनुभूति को शब्दों में प्रस्तुत करते हुए लिखा है, मैं पृथ्वी के गर्भ में अवैध प्रयोग परीक्षणों को देख रहा हूँ। जिसके कारण विश्वभर में भूकम्पों की एक श्रृंखला शुरू हो रही है। मुझे लगता है कि ये लोग इसके सम्भावित खतरनाक परिणाम को जानते हैं, फिर भी ये प्रयोग कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि ये एक पागलपन के शिकंजे में हैं जो सबके लिए घातक एवं विनाशकारी है। भूकम्पीय गतिविधियाँ खतरनाक स्तर पर बढ़ रही हैं। इस क्रम में संयुक्त राज्य अमेरिका बड़ी भूकम्पीय समस्या में फँसने वाला है। मुझे यह भी समझ में आ रहा है कि यह सब इस समय चल रही विश्वव्यापी हिंसा एवं उथल-पुथल की प्रतिच्छाया है।

इसी तरह की अनुभूति को व्यक्त करते हुए रोजी मार्टिन कहती हैं, मैं ज्वालामुखी फूटने के कई दृश्य देख चुकी हूँ। मुझे बताया गया कि ये ज्वालामुखी पृथ्वी की धुरी में कुछ परिवर्तन के कारण हैं, जिनके साथ कई विश्वव्यापी घटनाएँ घटेगी। मैं हवाई में फटे ज्वालामुखी को, मृत्युकालीन अनुभव में देख चुकी हूँ। एक दिन टी. वी. में मैंने सेंटहेलेना का ज्वालामुखी फटते देखा, जिसे मैं पहले ही देख चुकी थी। इसी के साथ मैंने देखा कि ध्रुवों में परिवर्तन होने वाला है। मैं पृथ्वी को फैलते हुए व कराहते हुए देख रही हूँ। साथ ही एक नयी चेतना का जन्म होते दिखाई दे रहा है। मैंने यह भी देखा कि विश्व के इतिहास में ऐसा यदा-कदा ही होता है, जो कि विश्व को विकास के एक उच्चतर स्तर पर लाने के लिए आवश्यक होता है। देखते-देखते पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन हो जायगा। सागर जमीन की तह से ऊपर उठेगी व सागर जल वर्तमान भूभाग पर छा जाएगा। इस बार बहुत सारे लोग मारे जाएँगे, लेकिन इस प्रक्रिया में धरती का परिशोधन हो जाएगा।

सिर में आयी गहरी चोट के कारण मृत्यु जैसी अचेतन अवस्था से गुजरे जोसेफ अलब्राइट को चमत्कारी अतीन्द्रिय अनुभूति हुई। उन्हीं के शब्दों में “मैंने कई क्षेत्रों को सूखा व अकाल के कारण प्रभावित होते स्पष्टतः देखा। अफ्रीका सबसे बुरी तरह से प्रभावित होगा। मैंने ऐसा कुछ एशियाई देशों में भी देखा। कई देशों में बहुत भयंकर सूखा पड़ेगा। अन्य क्षेत्रों में अप्राकृतिक भारी वर्षा के कारण बाढ़ और ज्वारीय लहरों से विनाश के दृश्य दिखेंगे। मौसम बहुत अनिश्चित हो जाएगा। मैं गर्मी के बीचों-बीच बर्फ गिरते देख रहा हूँ।”

अलब्राइट आगे कहते हैं- “धरती का अंधाधुन्ध दोहन, तेजाबी वर्षा व सागर एवं धरती में प्रदूषण के कारण खाद-पदार्थों की भयंकर कमी होगी। इस सबका कारण सामान्य मानवों का जीवन-स्तर बढ़ाने की कीमत पर अपने वैयक्तिक स्वार्थ के लिए अधिकाधिक धन-साधन संग्रह करना है। मैंने देखा कि यह संकीर्ण एवं स्वार्थी दृष्टिकोण कई लोगों की व्यापक तबाही के साथ उक्त व्यक्तियों को भी नष्ट कर रहा है। सूखे व बाढ़ के कारण खाद्य - संकट और गहरा हो रहा है। कीमतें बहुत बढ़ रही हैं। आर्थिक स्थिति पर बहुत दबाव पड़ रहा है। खाद्यसंकट एवं बिगड़ती आर्थिक स्थिति के साथ मैं सैन्यशक्ति को बहुत मजबूत होते देख रहा हूँ जो तनाव का कारण बन रही है।

इसी तरह का एक अनुभव विलियम जेम्स को भी हुआ। इसका शब्दचित्र प्रस्तुत करते हुए उन्होंने बताया- मैं दंगों को देख रहा हूँ। दुनिया के लोग एक दूसरे पर घृणा के गोले बरसा रहे हैं। लोग बाहर निकलने से डर रहे हैं। अनियंत्रित भोगवाद ने लोगों को आध्यात्मिक पतन की ऐसी स्थिति में ला पटका है, जहाँ वे जीवन के खालीपन की पूर्ति के लिए कामवासना, जुआ, शराब, नशा और हिंसा की शरण ले रहे हैं, जो अंतिम विनाश की ओर दौड़ लगाते दिख रहे हैं। मैं पूरे विश्व के ऊपर एक धुँधला-विषाक्त कुहरा छाया देख रहा हूँ। इसे मैं भय की तरंगों के रूप में समझता हूँ। यहाँ-वहाँ से मैं प्रकाशित आत्माओं से प्रकाश की तरंगों को आते देख रहा हूँ, जो इस अंधकार का भेदन करने का प्रयास कर रहे हैं। मैंने देखा यह भय सामाजिक अव्यवस्था एवं हिंसा के कारण है, जो और बद्तर होता चला जा रहा है। लेकिन तभी मुझे सूर्य उपासकों के तप-तेज का एक पुँज दिखाता और देखते-देखते सारा वातावरण बदलने लगता। इस युगान्तरकारी परिवर्तन के फलस्वरूप लोग व्यापक स्तर पर सद्भाव एवं प्रेम से ओत-प्रोत होकर जीना सीख लेते हैं।

जीवन के विविध घटनाचक्रों, संयोग एवं मृत्यु के अनुभवों से गुजरे हुए व्यक्तियों की अनुभूतियाँ आश्चर्यजनक एवं अलौकिक तो हैं। साथ ही इस बात की सत्यता का प्रमाण हैं कि मानवी चेतना उतनी ही नहीं है, जितनी कि सामान्य जीवनक्रम में परिलक्षित होता है। इस सामान्य चेतना की पृष्ठभूमि में ऐसा बहुत कुछ है, जिसे यदि जाग्रत किया जा सके तो नर से नारायण बनना, मनुष्य से देवता में परिवर्तित होना मात्र कहावत नहीं, बल्कि जीवन का सर्वमान्य सत्य बन जाएगा। इस तरह की जाग्रति के लिए प्राचीन भारतीय ऋषियों ने एक समग्र विधि-विधान की खोज की है। जिसे अपनाकर सचेतन रीति से अपनी चेतना को परिष्कृत, परिशोधित एवं जाग्रत किया जा सकता है। यह जाग्रति यदि जीवन में आ सके, तो अपना मानव जीवन दिव्य, अलौकिक बनना एक सुनिश्चित तथ्य बन जाएगा।


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