चीन के धर्मोपदेशक (kahani)

July 1984

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चीन के धर्मोपदेशक हुई पेंगे, दीवार की तरफ मुँह करके प्रवचन करते थे। श्रोताओं की तरफ उनकी पीठ रहती थी।

पूछने पर वे कहते थे- ‘‘आप लोग दीवार की तरह हैं- सफाचट। उनके भीतर प्रवेश करने के लिए खिड़की तक नहीं है। ऐसी दशा में यह आशा बँधती नहीं कि वे जो सुनेंगे उसे समझने और अपनाने को भी तैयार होंगे।”

हुई का कथन था कि इतने पर भी मैं निराश नहीं हूँ। दीवार को सुनाता हूँ ताकि मेरा अभ्यास बढ़े और यदि दीवार के कहीं कान हों तो वे मेरी बात सुने। आखिर कभी तो किसी के कान खुलेंगे।


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