मनुष्य विद्युत शक्ति का पुँज माना गया है और उस पर भी इसका एकत्रीकरण मस्तिष्क पर सर्वाधिक माना जाता है। लेकिन इसका बिखराव तेजोवलय के रूप में इतना अधिक होता है कि किसी भी समय मस्तिष्क से प्रवाहित होने वाली विद्युत एक स्थान पर मापे जाने पर एक वोल्ट के पचास करोड़वें भाग के बराबर होती है। यदि एक फ्लैश लाइट जलानी पड़े तो 60 हजार व्यक्तियों के “स्कैल्प” पर इलेक्ट्रोड्स लगाने पड़ेंगे। इसी विद्युत शक्ति को यदि एक स्थान पर सघन बनाया जा सके तो मनुष्य चलता फिरता अति शक्तिशाली बिजलीघर माना जा सकता है।