मान्यता है कि ऊँट रेगिस्तान में इसलिए जीवित बना रहता है कि वह अपनी पानी की थैली में भरपूर आपातकालीन जल संचय कर लेता है। लेकिन यह मिथ्या है। ऊँट की कूबड़ में पर्याप्त मात्रा में चरबी होती है जो आवश्यकता पड़ने पर अपघटित होकर हाइड्रोजन गैस विमुक्त करती है। श्वासोच्छवास से उपलब्ध ऑक्सीजन व हाइड्रोजन मिलकर पानी बनाते व ऊँट की तृष्णा को शान्त किए रहते हैं। है न यह एक विचित्र बात।