युवैव धर्मशीलः स्यादनित्यं खलु जीवितम्। को हि जानाति कस्याद्य, मृत्युकालो भविष्यति।13॥
अर्थात्- यह जीवन अनित्य है, यह समझकर युवावस्था से ही धर्म का पालन करना चाहिये। मृत्यु का पता नहीं कब हो जाये, यह सोचकर पहले से ही धर्म का पालन करते रहना चाहिये।