रसायनाचार्य नागार्जुन (kahani)

April 1983

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

रसायनाचार्य नागार्जुन को अपनी रसायनशाला के लिए एक सहयोगी की तलाश थी। वे उपयुक्त को खोज रहे थे।

उस महत्वपूर्ण पद का श्रेय और अनुभव पाने के लिए अनेक इच्छुक आते रहते। नागार्जुन उनकी जिस-तिस प्रकार परीक्षा लेते। खरा न उतरने पर प्रायः वापस ही लौटते रहते। इस बार एक नया प्रार्थी आया। उसे तीन दिन में पूरा करने के लिए कुछ काम सौंपा गया। तीन दिन बाद वह लौटा तो, कुछ भी न कर सकने की विवशता प्रकट की। नागार्जुन ने कारण पूछा तो उसने इतना ही कहा-“समीपस्थ एक मरणासन्न रोगी पड़ा था। उसकी सेवा में जुट गया और सोचा रसायन बनाने की उपेक्षा इसकी प्राण रक्षा अधिक आवश्यक है।

नागार्जुन को भावनाशील की खोज थी। वह पहली बार मिला और तत्काल नियुक्त कर लिया।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118