VigyapanSuchana

April 1983

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इन दिनों शान्ति-कुँज में एक-एक महीने के कल्प साधना सत्र चल रहे हैं। उनमें आत्मोत्कर्ष की, परिष्कार परिशोधन की प्रक्रिया सम्पन्न करने के लिये साधना एवं प्रेरणा की उभयपक्षीय व्यवस्था का समावेश है। शारीरिक और मानसिक परीक्षण ब्रह्मवर्चस् प्रयोगशाला निष्णात् शरीर शास्त्रियों द्वारा कराने के उपरान्त निर्णय होता है कि कौन क्या साधना किस प्रयोजन के लिए किस प्रकार सम्पन्न करे। सभी को एक जैसी साधना नहीं कराई जाती।

इसके अतिरिक्त अब इन्हीं सत्रों में युग शिल्पी शिक्षण भी सम्मिलित कर दिया गया है। भाषण, सम्भाषण, सुगम संगीत, स्वास्थ्य संवर्द्धन एवं धर्मतन्त्र से लोक शिक्षण के लिए आवश्यक योग्यता संवर्द्धन के आवश्यक तथ्यों एवं पाठ्यक्रमों का समावेश किया गया है।

प्रातः से मध्याह्न तक कल्प साधना सत्र चलते हैं और मध्याह्न से सायंकाल तक युग शिल्पी सत्र। अब दोनों का एक साथ समावेश हैं साथ-साथ चलने के कारण दोनों का पाठ्यक्रम एक मास में ही पूरा हो जाता है। शिक्षकों और शिक्षार्थियों पर दबाव तो निश्चित रूप से अधिक पड़ता हैं, किन्तु दुहरा लाभ भी प्रत्यक्ष है। हर महीने तारीख एक से उनतीस तक यह सत्र चलते हैं। जिन्हें सम्मिलित होना हो आवेदन पत्र भेजकर स्वीकृति प्राप्त कर लें।


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