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September 1982

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तमेव विदित्वा अतिमृत्युमेति। नान्यः पंथा अयनाय विद्यते-श्वेताश्वर उपनिषद्

अर्थात्-उस आत्मा परमात्मा को जान कर व्यक्ति मृत्यु को जीत लेता है। मुक्ति प्राप्ति का इससे भिन्न और कोई उपाय नहीं है।


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