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September 1982

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यदा न ज्ञायते मृत्युः कदा कस्य भविष्यति। आकस्मिके हि मरणे धृर्ति बिंदेत कस्तदा॥

परित्यज्य यदा सर्वमेकाकी यास्यसि ध्रुवम्। न ददा तदासि कस्मात्पाथेयार्थमिदं शुभम्-भविष्य पुराण

अर्थात्-जब कि यह नहीं जाना जाता है कि यह मृत्यु किस समय में किसकी हो जायेगी, जब अचानक ही मृत्यु प्राप्त होगी तो उस समय में कौन तुझे धीरज प्राप्त कराएगा? उस समय तू तो यहाँ पर ही यह सभी कुछ ठाट-बाट छोड़कर अकेले ही निश्चय रूप से जायेगा। इसलिये उस समय के वास्ते पाथेय के लिये सत्कर्म क्यों नहीं किया करता?


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